meta name="facebook-domain-verification" content="2u20w3a5eu94ehyno1esmjlvzzz165" /> मलेरिया नियंत्रण सबकी चिन्ता, सबकी भागीदारी

मलेरिया नियंत्रण सबकी चिन्ता, सबकी भागीदारी

मलेरिया नियंत्रण सबकी चिन्ता, सबकी भागीदारी


उज्जैन 29 जून। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल ने जानकारी दी कि मानसून के प्रारम्भ होने और मानसून के पश्चात मच्छरों की उत्पत्ति बढ़ जाने की संभावना के कारण मलेरियाजन्य परिस्थितियां निर्मित हो जाती है तथा मलेरिया का प्रसार अधिक होने लगता है। इस तारतम्य में मानसून व मलेरिया बीमारी की रोकथाम के सम्बन्ध में आमजन में समस्त जानकारियां व्यापक रूप में प्रसारित किया जाना जरूरी है, जिससे प्रभावी रूप से मलेरिया बीमारी की रोकथाम हो सके।

 मलेरिया के लक्षण सर्दी और कंपन के साथ तेज बुखार, उल्टियां और सिरदर्द, पसीना आकर बुखार उतरना, बुखार उतरने के बाद थकावट और कमजोरी आना है। इसीलिये बुखार आने पर तुरन्त रक्त की जांच करायें। मलेरिया की पुष्टि होने पर डॉक्टर से पूरा उपचार लें। मलेरिया के दौरान खाली पेट दवा कभी न लें। उल्लेखनीय है कि मलेरिया हेतु खून की जांच और उपचार सुविधा समस्त शासकीय अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है।

 डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले मच्छर घरों की छत पर रखी पानी की खुली टंकियां, बर्तन, मटके, कुल्हड़, गमलों में एकत्रित जल, बेकार फैंके हुए टायरों, बिना ढंके बर्तनों में एकत्रित जल, कूलर में एकत्रित जल, किचन गार्डन में एकत्रित जल, गमले, फूलदान, सजावट के लिये बने फव्वारे में एकत्रित जल में उत्पन्न होते हैं। अत: उक्त स्थानों पर जल एकत्रित न होने दें तथा पानी की टंकियों को ढंककर रखें। इसके अलावा सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। अपने घर के आसपास गड्ढ़ों को भर दें। पानी से अक्सर भरे रहने वाले स्थानों पर टीमोफॉस, मिट्टी का तेल या जला हुआ ऑइल डालें। घर एवं आसपास में स्थित अनुपयोगी सामग्री में पानी जमा न होने दें। सप्ताह में एक बार घर की छत पर रखे टीन, डिब्बे, बाल्टी आदि का पानी खाली कर दें। दोबारा उपयोग होने पर उन्हें अच्छी तरह से सुखायें, सप्ताह में एक बार कूलरों का पानी अवश्य बदलें तथा घर के आसपास यदि कोई हैण्ड पम्प हो तो हैण्ड पम्प के आसपास पानी एकत्रित न होने दें।

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