नर्मदा जल का पूरा उपयोग किया जायेगा, 32 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएँ निर्माणाधीन
उज्जैन 06 जुलाई। मध्यप्रदेश को आंवटित 18.25 एमएएफ नर्मदा जल के उपयोग के लिए नर्मदा विकास प्राधिकरण द्वारा योजनाओं पर काम किया जा रहा है। लगभग 32 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएँ निर्माणाधीन है। इन परियोजनाओं के अतिरिक्त 19 हजार करोडं रूपये लागत की 9 परियोजनाओं की भी प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। इन सभी परियोजनाओं के पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश को आबंटित नर्मदा जल का अधिकतम उपयोग हो सकेगा।
निर्माणाधीन परियोजनाओं में इंदिरा सागर परियोजना नहर, ओंकारेश्वर परियोजना नहर, रानी अवंतीबाई लोधी सागर परियोजना बरगी व प्रवर्तन परियोजना तथा लोवर गोई परियोजना मुख्य है। इनके अलावा नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक परियोजना उज्जैन देवास उज्जैनी पाईप लाईन तथा अपरबेदा आरबीसी के कार्य पूर्णता: की ओर है।
जल संसाधन विभाग के अंतर्गत निर्मित सिंचाई क्षमता को आगामी वर्षों में बढ़ाकर 50 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान में 33 लाख 77 हजार हेक्टेयर है। सिंचाई क्षमता को 2024-25 तक 50 लाख 74 हजार हेक्टेयर किया जाना है। वर्ष 2020 -21 में इसे 1.94 लाख हेक्टेयर, 21 -22 में 1.86 लाख हेक्टेयर, 22 -23 में 2.74 लाख हेक्टेयर, 23-24 में 5.76 लाख हेक्टेयर और 24 -25 में 4.66 लाख हेक्टेयर बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंचाई क्षमता बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। पूर्व में मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए उल्लेखनीय कार्य किए गए थे। सिंचाई क्षमता में वृद्धि का ही परिणाम है कि प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन लगातार बढ़ा है। इस वर्ष गेहूँ उत्पादन में तो मध्यप्रदेश ने रिकार्ड बनाया है। गेहूँ उपार्जन में मध्यप्रदेश 129 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीदी कर देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है।
उज्जैन 06 जुलाई। मध्यप्रदेश को आंवटित 18.25 एमएएफ नर्मदा जल के उपयोग के लिए नर्मदा विकास प्राधिकरण द्वारा योजनाओं पर काम किया जा रहा है। लगभग 32 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएँ निर्माणाधीन है। इन परियोजनाओं के अतिरिक्त 19 हजार करोडं रूपये लागत की 9 परियोजनाओं की भी प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। इन सभी परियोजनाओं के पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश को आबंटित नर्मदा जल का अधिकतम उपयोग हो सकेगा।
निर्माणाधीन परियोजनाओं में इंदिरा सागर परियोजना नहर, ओंकारेश्वर परियोजना नहर, रानी अवंतीबाई लोधी सागर परियोजना बरगी व प्रवर्तन परियोजना तथा लोवर गोई परियोजना मुख्य है। इनके अलावा नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक परियोजना उज्जैन देवास उज्जैनी पाईप लाईन तथा अपरबेदा आरबीसी के कार्य पूर्णता: की ओर है।
जल संसाधन विभाग के अंतर्गत निर्मित सिंचाई क्षमता को आगामी वर्षों में बढ़ाकर 50 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान में 33 लाख 77 हजार हेक्टेयर है। सिंचाई क्षमता को 2024-25 तक 50 लाख 74 हजार हेक्टेयर किया जाना है। वर्ष 2020 -21 में इसे 1.94 लाख हेक्टेयर, 21 -22 में 1.86 लाख हेक्टेयर, 22 -23 में 2.74 लाख हेक्टेयर, 23-24 में 5.76 लाख हेक्टेयर और 24 -25 में 4.66 लाख हेक्टेयर बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंचाई क्षमता बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। पूर्व में मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए उल्लेखनीय कार्य किए गए थे। सिंचाई क्षमता में वृद्धि का ही परिणाम है कि प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन लगातार बढ़ा है। इस वर्ष गेहूँ उत्पादन में तो मध्यप्रदेश ने रिकार्ड बनाया है। गेहूँ उपार्जन में मध्यप्रदेश 129 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीदी कर देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है।
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