सफलता की कहानी ‘विकास की गाथा गाता दताना गांव’ कैसे बना एक सामान्य गांव से स्मार्ट विलेज
उज्जैन एक जुलाई। उज्जैन से तकरीबन 10 किलो मीटर दूर देवास रोड के दोनों तरफ से दो से चार क्षेत्रफल में बसा दताना गांव विकास की प्रत्यक्ष मिसाल बन चुका है। गांव में प्रवेश करते ही जहां नजर पड़े, वहां स्वच्छता चारों तरफ सीमेन्ट-कांक्रीट सड़कों का जाल, चौबीस घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति और रात में एलईडी बल्ब की दुधिया रोशनी से जगमगाती गांव की गलियां। कुछ साल पहले दताना गांव में यह सब नहीं था। फिर आखिर कैसे दताना एक सामान्य गांव से बन सका एक स्मार्ट विलेज, जानने के लिये पढ़िये पूरी कहानी।
गांव ग्रामीण क्षेत्र या देहात का नाम सुनते ही आम जनमानस के मस्तिष्क पटल पर अमूमन एक ऐसे क्षेत्र का चित्र उभर आता है, जहां चारों तरफ मकान बने हैं। आवागमन के नाम पर एक संकरी की पगडंडी है, जिस पर बारिश के मौसम में यदि चलें तो घुटने-घुटने तक कीचड़ में पैर सनेंगे ही सनेंगे। जहां कोई सुविधा नहीं है, रात में रोशनी की व्यवस्था सिफ एक लालटेन जलाकर की जाती है इत्यादि। लेकिन बिते कुछ सालों में मध्य प्रदेश शासन के विशेष प्रयासों से गांवों की दशा में काफी सुधार आया है। गांव के परिदृश्य अब बदले-बदले से नजर आते हैं। उज्जैन जनपद के दताना गांव का नाम भी स्मार्ट विलेज की श्रेणी में शामिल हो चुका है। शासन के विभिन्न कार्यक्रमों और पर्वों जैसे मध्याह्न भोजन, ग्रामसभा आदि पर जब जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी कभी भी दताना गांव में आते हैं तो यहां की चाक-चौबन्द व्यवस्था से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते।
गांव के सरपंच श्री नासीर पटेल ने बताया कि साल 2016 में सिंहस्थ पर्व के दौरान दताना को स्मार्ट विलेज का दर्जा प्राप्त हुआ। पहले दताना गांव के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिये 10 किलो मीटर दूर उज्जैन शहर जाना पड़ता था, वहीं अब दताना गांव में ही प्राथमिक, माध्यमिक और हाईस्कूल की स्थापना शासन द्वारा की गई है। शीघ्र ही यहां हायर सेकेंडरी स्कूल भी प्रारम्भ करने पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
गांव में पहले कच्ची सड़कें हुआ करती थी, जिससे आवागमन में लोगों को काफी परेशानी होती थी। शासन के पंच-परमेश्वर योजना के अन्तर्गत पूरे गांव में सीमेन्ट-कांक्रीट रोड का जाल बिछाया गया। गांव में अब कहीं भी कच्ची सड़क कहीं भी देखने को नहीं मिलती है। इसके अलावा गांव में एक पंचायत भवन, दो आंगनवाड़ी भवन तथा मनरेगा के अन्तर्गत चेकडेम का निर्माण भी किया गया है। दताना ग्राम पंचायत खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हो चुकी है। वहीं गांव के लोगों में भी स्वच्छता के प्रति काफी जागरूकता आई है।
यहां जल संरक्षण और सिंचाई के लिये जब बलराम तालाब योजना के अन्तर्गत तालाब निर्माण करवाया गया तब गांव के समस्त लोगों ने बढ़-चढ़कर इसमें अपनी ओर से योगदान दिया। गांव में संबल योजना के अन्तर्गत लगभग 786 श्रमिकों के जॉबकार्ड बनाये जा चुके हैं। वहीं दुर्घटना होने पर 8 प्रकरणों में श्रमिकों के परिवार को दो-दो लाख रुपये और दो प्रकरणों में चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करवाई गई है। वहीं 14 श्रमिकों के परिवारों को अन्त्येष्टी सहायता राशि मुहैया करवाई गई है।
शासन द्वारा ग्रामीण विकास के लिये संचालित समस्त योजनाओं का जमीनी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन कैसे किया जाता है, यह यदि देखना हो तो एक बार इस गांव में जरूर आना चाहिये। मृत्यु अन्तिम सत्य है। अन्तिम संस्कार के दौरान मृतक के परिजनों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसीलिये यहां शमशान घाट और कब्रिस्तान दोनों स्थलों का विकास समान भाव से किया गया है। शान्तिधाम तक जाने के लिये पहले मार्ग कच्चा था, इस वजह से अन्त्येष्टी ले जाने में काफी परेशानी होती थी। इसीलिये वहां तक जाने के लिये सीसी रोड, शान्तिधाम में दहन के लिये दो शेड और एक शोकसभा स्थल का निर्माण करवाया गया है।
शासन द्वारा शान्तिधाम में जगह-जगह बैठने के लिये सीट और जमीन पर पेवर ब्लॉक बिछाये गये हैं। वहीं यहां स्वच्छता का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। सुरक्षा की दृष्टि से शान्तिधाम की चारों तरफ बाउंड्री वाल का निर्माण कर लोहे का मेनगेट लगाया गया है।
गांव में स्ट्रीट लाईट में सब जगह एलईडी बल्ब लगाये गये हैं। जब रात होती है तब पूरा गांव सफेद रोशनी में नहा जाता है। बिजली के बाद यदि पेयजल की बात की जाये तो नल जल योजना के अन्तर्गत यहां हर घर में नल कनेक्शन है। गांव के प्रत्येक घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिये पंचायत भवन के समीप एक विशाल पानी की टंकी का निर्माण किया गया है तथा सार्वजनिक आठ हैण्ड पम्प भी लगाये गये हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के अन्तर्गत लगभग 200 हितग्राहियों के लिये पक्के आवास का निर्माण कर उन्हें गृह प्रवेश करवाया गया। दताना के पंचायत सचिव श्री प्रवीण शर्मा ने जानकारी दी कि गांव की आबादी लगभग 30 से 35 हजार है।
दताना के शासकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिये हाल ही में डायनिंग हाल का निर्माण कराया गया है, जिससे बच्चे यहां जमीन पर बैठने की बजाय कुर्सी-टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं तथा मन लगाकर पढ़ाई भी करते हैं। बच्चों की सुविधा का स्कूलों में पूरा ध्यान रखा जाता है। विद्यालयों में वातावरण प्रदूषणरहित रखने के लिये परिसर में समय-समय पर वृक्षारोपण भी किया जाता है, जिससे चारों तरफ हरियाली ही हरियाली व्याप्त हो चुकी है।
प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत गांव के प्रत्येक घर में बिजली की निर्बाध आपूर्ति हो सके, इसके लिये गांव में 45 बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर लगाये गये। गांव के लोगों के बारे में आम धारणा होती है कि वे कम पढ़े-लिखे होते हैं, लेकिन दताना गांव के लोगों ने यह बात भी गलत साबित कर दी है। गांव का साक्षरता दर लगभग 90 प्रतिशत है। यहां के लोग पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ जागरूक भी हैं। हाल ही में कोरोना संक्रमण के दौरान लाऊड स्पीकर के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। पूरे गांव का अब तक तीन बार सेनीटाइजेशन किया जा चुका है। गांव में प्रत्येक घर में मास्क और सेनीटाइजर का वितरण भी किया गया है।
लॉकडाउन अवधि के दौरान गांव में पंचायत स्तर पर जरूरतमन्द लोगों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण भी किया गया। यह दताना गांव के लोगों की जागरूकता का ही नतीजा है कि गांव में आज दिनांक तक एक भी कोरोना संक्रमण का प्रकरण नहीं आया है। निश्चित रूप से दताना एक आदर्श गांव की जीती-जागती मिसाल है।
उज्जैन एक जुलाई। उज्जैन से तकरीबन 10 किलो मीटर दूर देवास रोड के दोनों तरफ से दो से चार क्षेत्रफल में बसा दताना गांव विकास की प्रत्यक्ष मिसाल बन चुका है। गांव में प्रवेश करते ही जहां नजर पड़े, वहां स्वच्छता चारों तरफ सीमेन्ट-कांक्रीट सड़कों का जाल, चौबीस घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति और रात में एलईडी बल्ब की दुधिया रोशनी से जगमगाती गांव की गलियां। कुछ साल पहले दताना गांव में यह सब नहीं था। फिर आखिर कैसे दताना एक सामान्य गांव से बन सका एक स्मार्ट विलेज, जानने के लिये पढ़िये पूरी कहानी।
गांव ग्रामीण क्षेत्र या देहात का नाम सुनते ही आम जनमानस के मस्तिष्क पटल पर अमूमन एक ऐसे क्षेत्र का चित्र उभर आता है, जहां चारों तरफ मकान बने हैं। आवागमन के नाम पर एक संकरी की पगडंडी है, जिस पर बारिश के मौसम में यदि चलें तो घुटने-घुटने तक कीचड़ में पैर सनेंगे ही सनेंगे। जहां कोई सुविधा नहीं है, रात में रोशनी की व्यवस्था सिफ एक लालटेन जलाकर की जाती है इत्यादि। लेकिन बिते कुछ सालों में मध्य प्रदेश शासन के विशेष प्रयासों से गांवों की दशा में काफी सुधार आया है। गांव के परिदृश्य अब बदले-बदले से नजर आते हैं। उज्जैन जनपद के दताना गांव का नाम भी स्मार्ट विलेज की श्रेणी में शामिल हो चुका है। शासन के विभिन्न कार्यक्रमों और पर्वों जैसे मध्याह्न भोजन, ग्रामसभा आदि पर जब जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी कभी भी दताना गांव में आते हैं तो यहां की चाक-चौबन्द व्यवस्था से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते।
गांव के सरपंच श्री नासीर पटेल ने बताया कि साल 2016 में सिंहस्थ पर्व के दौरान दताना को स्मार्ट विलेज का दर्जा प्राप्त हुआ। पहले दताना गांव के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिये 10 किलो मीटर दूर उज्जैन शहर जाना पड़ता था, वहीं अब दताना गांव में ही प्राथमिक, माध्यमिक और हाईस्कूल की स्थापना शासन द्वारा की गई है। शीघ्र ही यहां हायर सेकेंडरी स्कूल भी प्रारम्भ करने पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
गांव में पहले कच्ची सड़कें हुआ करती थी, जिससे आवागमन में लोगों को काफी परेशानी होती थी। शासन के पंच-परमेश्वर योजना के अन्तर्गत पूरे गांव में सीमेन्ट-कांक्रीट रोड का जाल बिछाया गया। गांव में अब कहीं भी कच्ची सड़क कहीं भी देखने को नहीं मिलती है। इसके अलावा गांव में एक पंचायत भवन, दो आंगनवाड़ी भवन तथा मनरेगा के अन्तर्गत चेकडेम का निर्माण भी किया गया है। दताना ग्राम पंचायत खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हो चुकी है। वहीं गांव के लोगों में भी स्वच्छता के प्रति काफी जागरूकता आई है।
यहां जल संरक्षण और सिंचाई के लिये जब बलराम तालाब योजना के अन्तर्गत तालाब निर्माण करवाया गया तब गांव के समस्त लोगों ने बढ़-चढ़कर इसमें अपनी ओर से योगदान दिया। गांव में संबल योजना के अन्तर्गत लगभग 786 श्रमिकों के जॉबकार्ड बनाये जा चुके हैं। वहीं दुर्घटना होने पर 8 प्रकरणों में श्रमिकों के परिवार को दो-दो लाख रुपये और दो प्रकरणों में चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करवाई गई है। वहीं 14 श्रमिकों के परिवारों को अन्त्येष्टी सहायता राशि मुहैया करवाई गई है।
शासन द्वारा ग्रामीण विकास के लिये संचालित समस्त योजनाओं का जमीनी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन कैसे किया जाता है, यह यदि देखना हो तो एक बार इस गांव में जरूर आना चाहिये। मृत्यु अन्तिम सत्य है। अन्तिम संस्कार के दौरान मृतक के परिजनों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसीलिये यहां शमशान घाट और कब्रिस्तान दोनों स्थलों का विकास समान भाव से किया गया है। शान्तिधाम तक जाने के लिये पहले मार्ग कच्चा था, इस वजह से अन्त्येष्टी ले जाने में काफी परेशानी होती थी। इसीलिये वहां तक जाने के लिये सीसी रोड, शान्तिधाम में दहन के लिये दो शेड और एक शोकसभा स्थल का निर्माण करवाया गया है।
शासन द्वारा शान्तिधाम में जगह-जगह बैठने के लिये सीट और जमीन पर पेवर ब्लॉक बिछाये गये हैं। वहीं यहां स्वच्छता का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। सुरक्षा की दृष्टि से शान्तिधाम की चारों तरफ बाउंड्री वाल का निर्माण कर लोहे का मेनगेट लगाया गया है।
गांव में स्ट्रीट लाईट में सब जगह एलईडी बल्ब लगाये गये हैं। जब रात होती है तब पूरा गांव सफेद रोशनी में नहा जाता है। बिजली के बाद यदि पेयजल की बात की जाये तो नल जल योजना के अन्तर्गत यहां हर घर में नल कनेक्शन है। गांव के प्रत्येक घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिये पंचायत भवन के समीप एक विशाल पानी की टंकी का निर्माण किया गया है तथा सार्वजनिक आठ हैण्ड पम्प भी लगाये गये हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के अन्तर्गत लगभग 200 हितग्राहियों के लिये पक्के आवास का निर्माण कर उन्हें गृह प्रवेश करवाया गया। दताना के पंचायत सचिव श्री प्रवीण शर्मा ने जानकारी दी कि गांव की आबादी लगभग 30 से 35 हजार है।
दताना के शासकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिये हाल ही में डायनिंग हाल का निर्माण कराया गया है, जिससे बच्चे यहां जमीन पर बैठने की बजाय कुर्सी-टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं तथा मन लगाकर पढ़ाई भी करते हैं। बच्चों की सुविधा का स्कूलों में पूरा ध्यान रखा जाता है। विद्यालयों में वातावरण प्रदूषणरहित रखने के लिये परिसर में समय-समय पर वृक्षारोपण भी किया जाता है, जिससे चारों तरफ हरियाली ही हरियाली व्याप्त हो चुकी है।
प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत गांव के प्रत्येक घर में बिजली की निर्बाध आपूर्ति हो सके, इसके लिये गांव में 45 बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर लगाये गये। गांव के लोगों के बारे में आम धारणा होती है कि वे कम पढ़े-लिखे होते हैं, लेकिन दताना गांव के लोगों ने यह बात भी गलत साबित कर दी है। गांव का साक्षरता दर लगभग 90 प्रतिशत है। यहां के लोग पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ जागरूक भी हैं। हाल ही में कोरोना संक्रमण के दौरान लाऊड स्पीकर के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। पूरे गांव का अब तक तीन बार सेनीटाइजेशन किया जा चुका है। गांव में प्रत्येक घर में मास्क और सेनीटाइजर का वितरण भी किया गया है।
लॉकडाउन अवधि के दौरान गांव में पंचायत स्तर पर जरूरतमन्द लोगों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण भी किया गया। यह दताना गांव के लोगों की जागरूकता का ही नतीजा है कि गांव में आज दिनांक तक एक भी कोरोना संक्रमण का प्रकरण नहीं आया है। निश्चित रूप से दताना एक आदर्श गांव की जीती-जागती मिसाल है।
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