"सफलता की कहानी" कम वजन के नवजात शिशुओं को मिलने लगा उचित उपचार
उज्जैन 03 जुलाई। सीएमएचओ डॉ.महावीर खंडेलवाल ने जानकारी दी कि चरक अस्पताल में नियोनेटल हाई डिपेंडेंसी युनिट जुलाई माह से पूर्ण क्षमता के साथ शुरू हो चुकी है। साथ ही एनएचडीयू में नवजात शिशुओं को भर्ती करने के मापदण्ड में ऐसे समस्त शिशु जिनको एसएनसीयू में रखकर गंभीर इलाज की जरूरत नहीं है व जिनका वजन 1800 ग्राम से कम है, समय पूर्व जन्में बच्चे (34 सप्ताह से कम), पीलिया से ग्रसित बच्चे, एंटीबायोटिक कोर्स पूर्ण किये जाने हेतु फीडिंग सपोर्ट (स्तनपान, कटोरी-चम्मच फीडिंग, ट्यूब फीडिंग) लेने वाले बच्चे शामिल हैं।
कम वजन के नवजात शिशुओं की मृत्यु कम करने के लिये यह युनिट बनाई गई है, जिसमें जरूरत के सभी उपकरण जैसे रेडिएंट वार्मर, एलईडी फोटो थैरेपी के साथ 10 बिस्तर है। नवजात शिशु को मां के साथ रहकर एसेप्सिस प्रोटोकाल के अनुसार उचित देखभाल करना सीखाया जा रहा है और नवजात शिशु की जान जोखिम के खतरों के बारे में भी अवगत कराया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन के द्वारा शिशुओं की माताओं को साफ गाऊन, स्लीपर्स और नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे जब शिशु की छुट्टी होगी तो उसकी देखभाल घर पर भी मां के द्वारा की जा सकेगी और समुदाय में जाकर बच्चों की होने वाली मृत्यु को रोका जा सकेगा। चरक अस्पताल की इस एसएनसीयू युनिट के प्रभारी डॉ.दिलीप वास्के हैं।
उज्जैन 03 जुलाई। सीएमएचओ डॉ.महावीर खंडेलवाल ने जानकारी दी कि चरक अस्पताल में नियोनेटल हाई डिपेंडेंसी युनिट जुलाई माह से पूर्ण क्षमता के साथ शुरू हो चुकी है। साथ ही एनएचडीयू में नवजात शिशुओं को भर्ती करने के मापदण्ड में ऐसे समस्त शिशु जिनको एसएनसीयू में रखकर गंभीर इलाज की जरूरत नहीं है व जिनका वजन 1800 ग्राम से कम है, समय पूर्व जन्में बच्चे (34 सप्ताह से कम), पीलिया से ग्रसित बच्चे, एंटीबायोटिक कोर्स पूर्ण किये जाने हेतु फीडिंग सपोर्ट (स्तनपान, कटोरी-चम्मच फीडिंग, ट्यूब फीडिंग) लेने वाले बच्चे शामिल हैं।
कम वजन के नवजात शिशुओं की मृत्यु कम करने के लिये यह युनिट बनाई गई है, जिसमें जरूरत के सभी उपकरण जैसे रेडिएंट वार्मर, एलईडी फोटो थैरेपी के साथ 10 बिस्तर है। नवजात शिशु को मां के साथ रहकर एसेप्सिस प्रोटोकाल के अनुसार उचित देखभाल करना सीखाया जा रहा है और नवजात शिशु की जान जोखिम के खतरों के बारे में भी अवगत कराया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन के द्वारा शिशुओं की माताओं को साफ गाऊन, स्लीपर्स और नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे जब शिशु की छुट्टी होगी तो उसकी देखभाल घर पर भी मां के द्वारा की जा सकेगी और समुदाय में जाकर बच्चों की होने वाली मृत्यु को रोका जा सकेगा। चरक अस्पताल की इस एसएनसीयू युनिट के प्रभारी डॉ.दिलीप वास्के हैं।
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