आज भी नहीं चली कोई बस, 150 रुपए में यात्रियों ने ऑटो से तय किया इंदौर का सफर
बस का चालू करने से पहले बस मालिक को बसों की सर्विसिंग कराना होगी
उज्जैन।वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से देश भर में लागू हुए लॉकडाउन में केन्द्र सरकार द्वारा समय समय अनलॉक के तहत छूट दिये जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसी के चलते बसों और ट्रेनों के संचालन की अनुमति भी दी गई है, लेकिन म.प्र. बस ऑनर्स द्वारा लॉकडाउन अवधि में वाहन टैक्स माफी की मांग को लेकर बसों का संचालन बंद कर रखा था।
मुख्यमंत्री द्वारा टैक्स माफी की घोषणा के बाद भी शहर से बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाया। सुबह अनेक यात्री बसों के लिये नानाखेड़ा और देवासगेट बस स्टैँड पहुंचे लेकिन बसें नहीं मिलने के कारण उन्हें 150 रुपये किराया देकर ऑटो व मैजिक से इंदौर जाना पड़ा।
परेशानी यात्रियों की
शहर के देवासगेट और नानाखेड़ा बस स्टैंड से संचालित होने वाली बसों के संचालन शुरू होने की जानकारी मिलने के बाद अनेक यात्री बस स्टैंड पर सुबह से पहुंच गये लेकिन यहां से एक भी बस का संचालन नहीं हुआ इस कारण लोगों को ऑटो व मैजिक में दो गुना से अधिक किराया देकर यात्रा करना पड़ी। स्थिति यह रही कि उज्जैन से इंदौर के लिये ऑटो संचालकों ने 150 रुपये प्रति यात्री के मान से किराया वसूला तो उज्जैन से आगर जाने का किराया 300 रुपये प्रति व्यक्ति लिया गया।
यह है मामला: लॉकडाउन अवधि में पूरे समय बसों का संचालन बंद रहा। इसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई और शासन ने लोक परिवहन के लिये लोगों को सुविधा की दृष्टि से बस, मैजिक व आटो के संचालन की अनुमति दी लेकिन प्रदेश बस ऑनर्स एसोसिएशन द्वारा लॉकडाउन अवधि में बसें नहीं चलाने पर टैक्स माफी की मांग प्रदेश सरकार से की गई और बसों का संचालन भी शुरू नहीं किया। करीब दो माह से बनी अवरोध की स्थिति में बीती रात मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश बस ऑनर्स की मांग को मानते हुए लॉकडाउन अवधि के साथ अगस्त माह तक का वाहन टैक्स माफ करने का आश्वासन दिया लेकिन शहर से बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है।
यह है बस संचालकों की परेशानी
लॉकडाउन अवधि के दौरान बंद हुई बसें वर्तमान में यथा स्थिति खड़ी हैं। एक बस का चालू कर सड़क पर उतारने से पहले बस मालिक को बसों के टायर बदलवाने के साथ 75 हजार रुपये का बीमा और 25 हजार रुपये की सर्विसिंग कराना होगी। इसके अलावा बैटरी व अन्य मरम्मत कार्य भी कराना होंगे। बड़ी परेशानी यह भी है कि बस ड्रायवर, क्लिनर सहित अन्य स्टाफ भी काम छोड़कर जा चुका है उन्हें वापस काम पर बुलाना भी होगा ऐसे में तुरंत बसों का संचालन होता नजर नहीं आता।
पूरी मांग नहीं मानी, अब विचार करेंगे
प्रदेश सरकार से बस ऑनर्स एसोसिएशन द्वारा पूरे वर्ष के वाहन टैक्स को माफ करने की मांग की गई थी, जबकि सरकार ने लॉकडाउन अवधि से अगस्त माह तक का टैक्स माफ किया है। यात्री किराया बढ़ाने की मांग भी स्वीकार नहीं की जा रही। महीनों से बंद पड़ी बसों का संचालन शुरू करने से पहले पदाधिकारियों से चर्चा करेंगे। वैसे भी बसों को कम्पलीट कर सड़क पर उतारने में 5-7 दिन का समय लगेगा तब तक संचालन का निर्णय भी हो जायेगा।
शिव शर्मा, संभागीय प्रभारी, म.प्र. बस ऑपरेटर एसोसिएशन
बस का चालू करने से पहले बस मालिक को बसों की सर्विसिंग कराना होगी
उज्जैन।वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से देश भर में लागू हुए लॉकडाउन में केन्द्र सरकार द्वारा समय समय अनलॉक के तहत छूट दिये जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसी के चलते बसों और ट्रेनों के संचालन की अनुमति भी दी गई है, लेकिन म.प्र. बस ऑनर्स द्वारा लॉकडाउन अवधि में वाहन टैक्स माफी की मांग को लेकर बसों का संचालन बंद कर रखा था।
मुख्यमंत्री द्वारा टैक्स माफी की घोषणा के बाद भी शहर से बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाया। सुबह अनेक यात्री बसों के लिये नानाखेड़ा और देवासगेट बस स्टैँड पहुंचे लेकिन बसें नहीं मिलने के कारण उन्हें 150 रुपये किराया देकर ऑटो व मैजिक से इंदौर जाना पड़ा।
परेशानी यात्रियों की
शहर के देवासगेट और नानाखेड़ा बस स्टैंड से संचालित होने वाली बसों के संचालन शुरू होने की जानकारी मिलने के बाद अनेक यात्री बस स्टैंड पर सुबह से पहुंच गये लेकिन यहां से एक भी बस का संचालन नहीं हुआ इस कारण लोगों को ऑटो व मैजिक में दो गुना से अधिक किराया देकर यात्रा करना पड़ी। स्थिति यह रही कि उज्जैन से इंदौर के लिये ऑटो संचालकों ने 150 रुपये प्रति यात्री के मान से किराया वसूला तो उज्जैन से आगर जाने का किराया 300 रुपये प्रति व्यक्ति लिया गया।
यह है मामला: लॉकडाउन अवधि में पूरे समय बसों का संचालन बंद रहा। इसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई और शासन ने लोक परिवहन के लिये लोगों को सुविधा की दृष्टि से बस, मैजिक व आटो के संचालन की अनुमति दी लेकिन प्रदेश बस ऑनर्स एसोसिएशन द्वारा लॉकडाउन अवधि में बसें नहीं चलाने पर टैक्स माफी की मांग प्रदेश सरकार से की गई और बसों का संचालन भी शुरू नहीं किया। करीब दो माह से बनी अवरोध की स्थिति में बीती रात मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश बस ऑनर्स की मांग को मानते हुए लॉकडाउन अवधि के साथ अगस्त माह तक का वाहन टैक्स माफ करने का आश्वासन दिया लेकिन शहर से बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है।
यह है बस संचालकों की परेशानी
लॉकडाउन अवधि के दौरान बंद हुई बसें वर्तमान में यथा स्थिति खड़ी हैं। एक बस का चालू कर सड़क पर उतारने से पहले बस मालिक को बसों के टायर बदलवाने के साथ 75 हजार रुपये का बीमा और 25 हजार रुपये की सर्विसिंग कराना होगी। इसके अलावा बैटरी व अन्य मरम्मत कार्य भी कराना होंगे। बड़ी परेशानी यह भी है कि बस ड्रायवर, क्लिनर सहित अन्य स्टाफ भी काम छोड़कर जा चुका है उन्हें वापस काम पर बुलाना भी होगा ऐसे में तुरंत बसों का संचालन होता नजर नहीं आता।
पूरी मांग नहीं मानी, अब विचार करेंगे
प्रदेश सरकार से बस ऑनर्स एसोसिएशन द्वारा पूरे वर्ष के वाहन टैक्स को माफ करने की मांग की गई थी, जबकि सरकार ने लॉकडाउन अवधि से अगस्त माह तक का टैक्स माफ किया है। यात्री किराया बढ़ाने की मांग भी स्वीकार नहीं की जा रही। महीनों से बंद पड़ी बसों का संचालन शुरू करने से पहले पदाधिकारियों से चर्चा करेंगे। वैसे भी बसों को कम्पलीट कर सड़क पर उतारने में 5-7 दिन का समय लगेगा तब तक संचालन का निर्णय भी हो जायेगा।
शिव शर्मा, संभागीय प्रभारी, म.प्र. बस ऑपरेटर एसोसिएशन
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