गंभीर डेम का एक गेट सुबह 8 बजे किया बंद
क्षमता 2250 एमसीएफटी पर मेंटेन , कल खुले थे दो गेट
उज्जैन।पिछले माह शहर में मानसून सीजन में ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि एक दिन छोड़कर पेयजल प्रदाय करने का निर्णय लेना पड़ा, लेकिन अचानक भादौ मास में हुई झमाझम बारिश के बाद परिस्थितियां पूरी तरह बदल गईं और आज हालात यह हैं कि मानसून की बिदाई के समय भी गंभीर बांध पूरी क्षमता 2250 एमसीएफटी तक भरा है। रविवार को बांध के दो गेट खुले थे जिनमें एक गेट को दोपहर में व एक को सुबह 8 बजे बंद किया गया।
शहर में पेयजल प्रदाय का मुख्य स्त्रोत गंभीर बांध है, इसके अलावा पीएचई विभाग द्वारा शिप्रा नदी, उण्डासा व साहेबखेड़ी तालाबों से भी पेयजल के लिये पानी लिया जाता है। सावन माह में तेज बारिश नहीं होने की वजह से गंभीर बांध में स्टोर पानी का लेवल लगातार कम होता जा रहा था। मानसून की बेरूखी के कारण अधिकारियों ने शहर में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय का निर्णय लिया। यह नियम एक ही दिन लागू हो पाया और अगले दिन संभाग में तेज बारिश के कारण गंभीर बांध में पानी की आवक बढऩे लगी। स्थिति यह हो गई कि यशवंत सागर के 5 गेट खोलना पड़े और कुछ ही घंटों में गंभीर डेम पूरी क्षमता से भर गया।
हालांकि पानी की आवक अधिक होने के कारण गंभीर बांध के गेट भी खोलना पड़े थे। गंभीर डेम प्रभारी उपयंत्री राजीव दीक्षित ने बताया कि कैचमेंट एरिया में रुक रुक कर हुई बारिश के बाद गंभीर बांध में पानी की आवक बढ़ी थी इस कारण रविवार को बांध के दो गेटों को एक एक मीटर तक खोलना पड़ा। जिसके बाद दोपहर में एक गेट बंद किया गया और रात में पानी की आवक धीमी पडऩे के साथ एक गेट को आधा मीटर के बाद कम करते हुए सुबह 8 बजे तक 25 से.मी. खोला था जिसे सुबह बंद कर दिया गया। वर्तमान में गंभीर बांध अपनी पूरी क्षमता से भरा है इस कारण अगले मानसून सीजन तक शहर में प्रतिदिन पेयजल प्रदाय में समस्या नहीं आयेगी।
शिप्रा का पानी पीने योग्य नहीं
शिप्रा नदी में फिलहाल बाढ़ की स्थिति है। देवास, इंदौर में हो रही बारिश के कारण नदी में पानी का लेवल बढ़ा है। हालांकि मानसून सीजन में शिप्रा नदी के सभी बैराज खोल दिये जाते हैं और पेयजल सप्लाय के लिये पानी का उपयोग नहीं किया जाता, लेकिन मानसून की बिदाई के बाद भी शिप्रा नदी का पानी पेयजल उपयोग के योग्य नहीं होगा क्योंकि त्रिवेणी स्थित खान नदी पर बना मिट्टी का स्टापडेम टूटकर बह चुका है ऐसे में खान नदी का दूषित पानी लगातार शिप्रा नदी में मिल रहा है और यह केमिकल युक्त दूषित पानी पीने योग्य नहीं होता।
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