नगर निगम अधिकारियों के पास समय नहीं सिटी बस चलाने का
लम्बा समय खींचा टेंडर में, अब कह रहे बोर्ड की मीटिंग के बाद लेंगे निर्णय
उज्जैन ।अनलॉक-4 के तहत केंद्र सरकार ने भले ही परिवहन के साधनों के लिए नियम के साथ शिथिलता दे दी हो, नगर निगम के आला अधिकारियों को आम जनता की याद नहीं आ रही है। लोगों का आरोप है कि नगर निगम सरकारी एजेंसी है। ऐसे में वह तो आम आदमी की समस्या जानकर अपनी डिपो में खड़ी बसों को चलवाए? ताकि लोग उज्जैन जिले में आंतरिक आवागमन कर सके। लोगों का कहना है कि वे श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करने भी उज्जैन इसलिए नहीं आ रहे हैं क्योंकि उन्हे साधन उपलब्ध नहीं है।
नगर निगम की उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस कंपनी लिमिटेड द्वारा शहर में, अंतर जिला एवं जिले के बाहर के शहरों तक के लिए अपनी सिटी बसों को चलाया जा रहा था। ये बसें कोरोनाकाल के पूर्व ही ठेकेदार की अवधि समाप्त होने पर बंद हो गई थी। कोरोनाकाल के बाद अब सरकार ने यात्री बसों को शर्तों के साथ चलाने की अनुमति दे दी है, निगम बसों को नहीं चला पा रहा है। गत माह तक निगम अधिकारी यह कहते रहे कि अभी टेंडर नहीं हुए हंै। जब टेंडर पास हुआ तो 15 दिन बीत जाने पर भी बसें नहीं चल पाई। यह कहा जा रहा कि बोर्ड की बैठक नहीं हुई है। बैठक के बाद बसों को चलाया जा सकेगा। बोर्ड के सीईओ स्वयं निगमायुक्त हैं। 50 बसों को शहर के भीतर, शहर के समीपस्थ तहसीलों एवं जिलों में चलाया जाना है।
यह हाल है प्रायवेट बसों का
इस समय शहर में प्रायवेट बसों का संचालन इंदौर को छोड़कर शेष जिलों में बंद ही है। अपनी मांगों को लेकर बस ऑपरेटर्स और शासन के बीच अभी भी तकनीकी असहमती बनी हुई है। इधर उज्जैन से इंदौर के बीच करीब 10 बसों का संचालन हो रहा है। इंदौर तक अप-डाउन करने वाले लोगों का कहना है कि वापसी में रात्रि के 7 या 8 बज जाते हैं। वहां से बस उपलब्ध नहीं हो पाती है। इसलिए यहां से भी नहीं बैठते हैं। अपने दो पहिया वाहन, कार को शेयर करके काम चला रहे हैं।
मैं जल्द ही बुलवाता हूं बोर्ड की बैठक : निगमायुक्त
निगमायुक्त क्षितिज सिंघल से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि बोर्ड की बैठक नहीं होने से बसों का संचालन प्रारंभ नहीं हो पाया है। शीघ्र ही बैठक बुलाकर निर्णय लेंगे।
मैंने कल ही कहा है : संभागायुक्त
निगम प्रशासक सह संभागायुक्त आनंद शर्मा ने कहा मैंने कल ही निगमायुक्त को निर्देश दिए कि प्रायवेट बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में नगर निगम अपनी बसों का संचालन करे। ताकि शहर में, तहसीलों में और समीपस्थ जिलों तक लोग यात्रा कर सके।
लम्बा समय खींचा टेंडर में, अब कह रहे बोर्ड की मीटिंग के बाद लेंगे निर्णय
उज्जैन ।अनलॉक-4 के तहत केंद्र सरकार ने भले ही परिवहन के साधनों के लिए नियम के साथ शिथिलता दे दी हो, नगर निगम के आला अधिकारियों को आम जनता की याद नहीं आ रही है। लोगों का आरोप है कि नगर निगम सरकारी एजेंसी है। ऐसे में वह तो आम आदमी की समस्या जानकर अपनी डिपो में खड़ी बसों को चलवाए? ताकि लोग उज्जैन जिले में आंतरिक आवागमन कर सके। लोगों का कहना है कि वे श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करने भी उज्जैन इसलिए नहीं आ रहे हैं क्योंकि उन्हे साधन उपलब्ध नहीं है।
नगर निगम की उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस कंपनी लिमिटेड द्वारा शहर में, अंतर जिला एवं जिले के बाहर के शहरों तक के लिए अपनी सिटी बसों को चलाया जा रहा था। ये बसें कोरोनाकाल के पूर्व ही ठेकेदार की अवधि समाप्त होने पर बंद हो गई थी। कोरोनाकाल के बाद अब सरकार ने यात्री बसों को शर्तों के साथ चलाने की अनुमति दे दी है, निगम बसों को नहीं चला पा रहा है। गत माह तक निगम अधिकारी यह कहते रहे कि अभी टेंडर नहीं हुए हंै। जब टेंडर पास हुआ तो 15 दिन बीत जाने पर भी बसें नहीं चल पाई। यह कहा जा रहा कि बोर्ड की बैठक नहीं हुई है। बैठक के बाद बसों को चलाया जा सकेगा। बोर्ड के सीईओ स्वयं निगमायुक्त हैं। 50 बसों को शहर के भीतर, शहर के समीपस्थ तहसीलों एवं जिलों में चलाया जाना है।
यह हाल है प्रायवेट बसों का
इस समय शहर में प्रायवेट बसों का संचालन इंदौर को छोड़कर शेष जिलों में बंद ही है। अपनी मांगों को लेकर बस ऑपरेटर्स और शासन के बीच अभी भी तकनीकी असहमती बनी हुई है। इधर उज्जैन से इंदौर के बीच करीब 10 बसों का संचालन हो रहा है। इंदौर तक अप-डाउन करने वाले लोगों का कहना है कि वापसी में रात्रि के 7 या 8 बज जाते हैं। वहां से बस उपलब्ध नहीं हो पाती है। इसलिए यहां से भी नहीं बैठते हैं। अपने दो पहिया वाहन, कार को शेयर करके काम चला रहे हैं।
मैं जल्द ही बुलवाता हूं बोर्ड की बैठक : निगमायुक्त
निगमायुक्त क्षितिज सिंघल से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि बोर्ड की बैठक नहीं होने से बसों का संचालन प्रारंभ नहीं हो पाया है। शीघ्र ही बैठक बुलाकर निर्णय लेंगे।
मैंने कल ही कहा है : संभागायुक्त
निगम प्रशासक सह संभागायुक्त आनंद शर्मा ने कहा मैंने कल ही निगमायुक्त को निर्देश दिए कि प्रायवेट बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में नगर निगम अपनी बसों का संचालन करे। ताकि शहर में, तहसीलों में और समीपस्थ जिलों तक लोग यात्रा कर सके।
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