लाहौरम्यूजियमकीजैनमूर्तियां

लाहौरम्यूजियमकीजैनमूर्तियां

  पाकिस्तान का लाहौर म्यूजियम जैन मूर्तियो से भरा है Partition  के पहले ब्रिटिश काल में यह म्यूजियम गांधार कला की मूर्तियों से भरा था और विश्व प्रसिद्ध था। अंग्रेजों ने इस इलाके की कई मूर्तियां इस म्यूजियम में रखवाई। यहां जैन मूर्तियो की भी भरमार है, पहली शताब्दी तक की जैन मूर्तियां यहां रखी है।

    लाहौर शहर में ही एक समय जैनों की अच्छी बस्ती थी,कई तीर्थंकर पाकिस्तान पधारे थे, अंतीम तीर्थंकर महावीर ने मगध से 700 कोस की यात्रा कर सिंध सहित आज के पाकिस्तान में विचरण किया। बाद में भी अनेक जैन आचार्य पाकिस्तान में विचरण करते थे,तक्शिला में ईसापूर्व का जैन स्तुप खुदाई में मिला है। पाकिस्तान के कई शहरों में आज भी जैन मंदिरों की इमारतें मौजूद हैं कुछ जैन इमारते हिंदू मंदिर या मस्जिद में बदल गई है तो कुछ घरों में।

    पाकिस्तान के स्थानीय इतिहासकार यहां के जैन पुरातत्व पर अच्छा शोध कर रहे हैं, इस पर कुछ पुस्तकें भी निकली है हाल ही में "उजडा दर्रा दे दर्शन" नाम से जनाब इकबाल कैसर ने उर्दू में पाकिस्तान के जैन मंदिरों पर एक  किताब लिखी। जिसका महेन्द्रकुमार मस्त ने हिंदी में अनुवाद किया है यह पाकिस्तान के जैन इतिहास और विरासतों पर प्रकाश डालती है।

 लाहौर और समूचे पाकिस्तान में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद जैन विरासतों को बहुत नुकसान पहुंचा कई मंदिर जमींदोज कर दिए गए। इस दौरान भी कई पाकिस्तानी इतिहासकारो ने और संस्कृति प्रेमियों ने कुछ इमारतें और अवशेष बचाकर रखे।

 यह लाहौर म्यूजियम की कुछ जैन मूर्तियो के चित्र है जो मुझे INDIA PAKISTAN HERITAGE CLUB FB GROUP में QASIM PARHAR से मिली थी उनका धन्यवाद।

हम आशा करते हैं एक दिन ऐसा आएगा जब अरहंतो की अहिंसा का संदेश पाकिस्तान विच गूंजेगा।

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