लॉकडाउन के दौरान घर चलाने के लिये मकान गिरवी रखने तक की नौबत आ गई थी पीएम स्ट्रीट वेण्डर योजना से चेहरे पर दोबारा लौटी मुस्कान
उज्जैन 07 सितम्बर। शहर के आगर रोड में एक तंग गली से होकर तिवारी की गली के खत्म होने से पहले मकान आता है 30 वर्षीय अमजद अली का। परिवार में पत्नी और तीन बच्चे है। घर चलाने के लिये अमजद फोटो फ्रेमिंग का काम करते हैं। कुछ महीने पहले तक कामकाज काफी अच्छा चलता था और अमजद को हर महीने 20 से 25 हजार रुपये की कमाई हो जाती थी। कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के चलते अमजद को लगभग 40 हजार रुपये का नुकसान हो गया था। इसके अलावा पहले से जो फोटो फ्रेमिंग के ऑर्डर उन्होंने लिये थे, उनके कैंसिल हो जाने की वजह से परेशानी और बढ़ गई थी।
जैसे-जैसे लॉकडाउन की अवधि बढ़ती जा रही थी, वैसे-वैसे अमजद की परेशानियां भी बढ़ती जा रही थी। अमजद ने बताया कि एक वक्त ऐसा आ गया था, जब उनके परिवार को मांग कर खाने की नौबत आ गई थी। यहां तक कि जीवनभर की पूंजी लगाकर बनाये गये छोटे से घर को गिरवी तक रखना पड़ गया था, लेकिन अमजद ने अखबार में प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेण्डर आत्मनिर्भर योजना के बारे में जब पढ़ा तो उन्हें लगा कि मुसीबत के समय इस योजना से उन्हें अपने काम को दोबारा शुरू करने में मदद मिल सकती है।
अमजद ने योजना का लाभ लेने के लिये नगर पालिक निगम में आवेदन दिया और आवेदन के आठ दिन के अन्दर ही उनके पास फोन आ गया कि उनका लोन स्वीकृत हो गया है। अमजद के बैंक खाते में योजना के अन्तर्गत 10 हजार रुपये की राशि आ गई थी। इन रुपयों की मदद से अमजद ने दोबारा फोटो फ्रेमिंग का कच्चा माल खरीदा और अनलॉक की प्रक्रिया प्रारम्भ होते ही वे जी-जान से इस काम को दोबारा शुरू करने में लग गये। अमजद ने कहा कि उनके पास हिम्मत और हौसले की कोई कमी नहीं थी। कमी थी तो बस आर्थिक मदद की जो इस योजना से उन्हें बिना किसी सिक्योरिटी के मिल सकी।
अमजद ने कहा कि जब उनके रिश्तेदारों और सगे-सम्बन्धियों ने मुश्किल समय में उनकी मदद करने से इंकार कर दिया था, ऐसे समय में सरकार ने यह योजना लाकर उनके जैसे कई गरीबों को उनकी बेपटरी हुई ज़िन्दगी को दोबारा पटरी पर लाने का काम किया है। इस योजना से वाकई में स्ट्रीट वेण्डर्स को आत्मनिर्भर बनने में काफी सहायता मिलेगी। अमजद ने इसके लिये मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश शासन का धन्यवाद दिया है।
उज्जैन 07 सितम्बर। शहर के आगर रोड में एक तंग गली से होकर तिवारी की गली के खत्म होने से पहले मकान आता है 30 वर्षीय अमजद अली का। परिवार में पत्नी और तीन बच्चे है। घर चलाने के लिये अमजद फोटो फ्रेमिंग का काम करते हैं। कुछ महीने पहले तक कामकाज काफी अच्छा चलता था और अमजद को हर महीने 20 से 25 हजार रुपये की कमाई हो जाती थी। कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के चलते अमजद को लगभग 40 हजार रुपये का नुकसान हो गया था। इसके अलावा पहले से जो फोटो फ्रेमिंग के ऑर्डर उन्होंने लिये थे, उनके कैंसिल हो जाने की वजह से परेशानी और बढ़ गई थी।
जैसे-जैसे लॉकडाउन की अवधि बढ़ती जा रही थी, वैसे-वैसे अमजद की परेशानियां भी बढ़ती जा रही थी। अमजद ने बताया कि एक वक्त ऐसा आ गया था, जब उनके परिवार को मांग कर खाने की नौबत आ गई थी। यहां तक कि जीवनभर की पूंजी लगाकर बनाये गये छोटे से घर को गिरवी तक रखना पड़ गया था, लेकिन अमजद ने अखबार में प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेण्डर आत्मनिर्भर योजना के बारे में जब पढ़ा तो उन्हें लगा कि मुसीबत के समय इस योजना से उन्हें अपने काम को दोबारा शुरू करने में मदद मिल सकती है।
अमजद ने योजना का लाभ लेने के लिये नगर पालिक निगम में आवेदन दिया और आवेदन के आठ दिन के अन्दर ही उनके पास फोन आ गया कि उनका लोन स्वीकृत हो गया है। अमजद के बैंक खाते में योजना के अन्तर्गत 10 हजार रुपये की राशि आ गई थी। इन रुपयों की मदद से अमजद ने दोबारा फोटो फ्रेमिंग का कच्चा माल खरीदा और अनलॉक की प्रक्रिया प्रारम्भ होते ही वे जी-जान से इस काम को दोबारा शुरू करने में लग गये। अमजद ने कहा कि उनके पास हिम्मत और हौसले की कोई कमी नहीं थी। कमी थी तो बस आर्थिक मदद की जो इस योजना से उन्हें बिना किसी सिक्योरिटी के मिल सकी।
अमजद ने कहा कि जब उनके रिश्तेदारों और सगे-सम्बन्धियों ने मुश्किल समय में उनकी मदद करने से इंकार कर दिया था, ऐसे समय में सरकार ने यह योजना लाकर उनके जैसे कई गरीबों को उनकी बेपटरी हुई ज़िन्दगी को दोबारा पटरी पर लाने का काम किया है। इस योजना से वाकई में स्ट्रीट वेण्डर्स को आत्मनिर्भर बनने में काफी सहायता मिलेगी। अमजद ने इसके लिये मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश शासन का धन्यवाद दिया है।
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