माधवनगर-आरडीगार्डी और अमलतास में फिर ICU फुल
प्रायवेट हॉस्पिटल से कोई सरकारी अनुबंध नहीं, स्वास्थ्य विभाग की परेशानी- कहां भेजे मरीज
उज्जैन।आज प्रात: 10 बजे तक शा. माधवनगर, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज और अमलतास की आईसीयू फुल थी। सिम्प्टोमेटिक गंभीर मरीजों की संख्या अधिक होने से यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ कि अब आईसीयू के लिए मरीज का कहां भेजे? डॉक्टर्स के बीच से ही जवाब आया- प्रायवेट हॉस्पिटल वाले तो आईसीयू के रुपए लेंगे और सरकार से कोई इनका अनुबंध भी नहीं तो ऐसे में मरीज को अपनी मर्जी से भेजा तो रुपए कौन देगा?
इस समय कोरोना पॉजीटिव्ह मरीजों का उपचार राज्य शासन करवा रहा है। लेकिन उसके लिए शासन ने नियम बनाए हुए है। शा.माधवनगर,अमलतास एवं आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज में ही नि:शुल्क उपचार, तय नियमों के आधार पर किया जा रहा है। आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज,अमलतास ओर शा.माधवनगर में सिम्प्टोमेटिक मरीजों के लिए आयसीयू को छोड़कर तो बेड उपलब्ध है लेकिन आयसीयू फुल होने से मरीजों को लेकर समस्या खड़ी हो गई है।
सूत्र बताते हैं कि आज सुबह भी तीनों हॉस्पिटल के कुछ डॉक्टर्स के बीच जो बातचीत हुई,उसका निष्कर्ष यह था कि गंभीर मरीज, जिन्हे आयसीयू में भेजना चाहिए, बेड खाली नहीं होने पर कैसे उपचार करे। इन्ही के बीच चर्चा में यह बात सामने आई कि कलेक्टर ने उज्जैन के 14 प्रायवेट हॉस्पिटल में 28 बेड आयसीयू के रखे हैं लेकिन इनके द्वारा पेड सर्विस दी जा रही है। ऐसे में यदि यहां से किसी गंभीर मरीज को वहां भेजा तो इस इलाज का खर्च कौन वहन करेगा ? सूत्र बताते हैं कि यह तय हुआ कि आयसीयू में जो ठीक होने के नजदीक हे,उसे बाहर करें और गंभीर को बाहर से अंदर करे, यही एक चारा बचा है?
इनका कहना है
सीएमएचओ ने कहाकि आयसीयू फुल होने पर कोई चारा नहीं बचता है। फिर भी कोशिश कर रहे हैं कि जो अब ठीक है और केवल ऑक्सीजन पर ही चल सकते हैं, उनका बेड खाली करवाकर,गंभीर मरीज को वहां शिफ्ट करें। आकस्मिक स्थिति में आयसीयू में बेड खाली नहीं होने पर परिजन को सलाह देंगे कि वे मरीज को प्रायवेट हॉस्पिटल में शिफ्ट कर लें। यदि वहां खर्च आता है तो वे देंगे। बात मरीज की जान बचाने की है, शासन प्रायवेट हॉस्पिटल का भुगतान नहीं करेगा।
प्रायवेट हॉस्पिटल से कोई सरकारी अनुबंध नहीं, स्वास्थ्य विभाग की परेशानी- कहां भेजे मरीज
उज्जैन।आज प्रात: 10 बजे तक शा. माधवनगर, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज और अमलतास की आईसीयू फुल थी। सिम्प्टोमेटिक गंभीर मरीजों की संख्या अधिक होने से यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ कि अब आईसीयू के लिए मरीज का कहां भेजे? डॉक्टर्स के बीच से ही जवाब आया- प्रायवेट हॉस्पिटल वाले तो आईसीयू के रुपए लेंगे और सरकार से कोई इनका अनुबंध भी नहीं तो ऐसे में मरीज को अपनी मर्जी से भेजा तो रुपए कौन देगा?
इस समय कोरोना पॉजीटिव्ह मरीजों का उपचार राज्य शासन करवा रहा है। लेकिन उसके लिए शासन ने नियम बनाए हुए है। शा.माधवनगर,अमलतास एवं आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज में ही नि:शुल्क उपचार, तय नियमों के आधार पर किया जा रहा है। आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज,अमलतास ओर शा.माधवनगर में सिम्प्टोमेटिक मरीजों के लिए आयसीयू को छोड़कर तो बेड उपलब्ध है लेकिन आयसीयू फुल होने से मरीजों को लेकर समस्या खड़ी हो गई है।
सूत्र बताते हैं कि आज सुबह भी तीनों हॉस्पिटल के कुछ डॉक्टर्स के बीच जो बातचीत हुई,उसका निष्कर्ष यह था कि गंभीर मरीज, जिन्हे आयसीयू में भेजना चाहिए, बेड खाली नहीं होने पर कैसे उपचार करे। इन्ही के बीच चर्चा में यह बात सामने आई कि कलेक्टर ने उज्जैन के 14 प्रायवेट हॉस्पिटल में 28 बेड आयसीयू के रखे हैं लेकिन इनके द्वारा पेड सर्विस दी जा रही है। ऐसे में यदि यहां से किसी गंभीर मरीज को वहां भेजा तो इस इलाज का खर्च कौन वहन करेगा ? सूत्र बताते हैं कि यह तय हुआ कि आयसीयू में जो ठीक होने के नजदीक हे,उसे बाहर करें और गंभीर को बाहर से अंदर करे, यही एक चारा बचा है?
इनका कहना है
सीएमएचओ ने कहाकि आयसीयू फुल होने पर कोई चारा नहीं बचता है। फिर भी कोशिश कर रहे हैं कि जो अब ठीक है और केवल ऑक्सीजन पर ही चल सकते हैं, उनका बेड खाली करवाकर,गंभीर मरीज को वहां शिफ्ट करें। आकस्मिक स्थिति में आयसीयू में बेड खाली नहीं होने पर परिजन को सलाह देंगे कि वे मरीज को प्रायवेट हॉस्पिटल में शिफ्ट कर लें। यदि वहां खर्च आता है तो वे देंगे। बात मरीज की जान बचाने की है, शासन प्रायवेट हॉस्पिटल का भुगतान नहीं करेगा।
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