महाकाल मंदिर में फिर नया प्रयोग : दर्शन के लिए जेब में 100 रुपए या ऑनलाइन बुकिंग का ज्ञान आवश्यक
उज्जैन/शनिवार को हुई महांकाल मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक में एक नया फरमान जारी कर दिया जिसके तहत जो दर्शनार्थी बिना ऑनलाइन बुकिंग कराए दर्शन करने आएंगे उन्हें 100 रूपए खर्च करके ही भगवान के दर्शन होंगे। इस देश में आज भी ऐसा बहुत बड़ा वर्ग है जिसके पास ना इंटरनेट की सुविधा है और ना जेब में 100 रूपए।
अभी व्यवस्था है की जो भी दर्शनार्थी दर्शन करने के इच्छुक हैं उन्हें मंदिर समिति की वेबसाइट पर नि:शुल्क प्री बुकिंग करना होती है जिसके आधार पर उन्हें एक समय का स्लॉट दिया जाता है जब वे दर्शन कर सके। इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति शीघ्र दर्शन करना चाहे तो मंदिर समिति के काउंटर से 251 की रसीद कटा सकता है। परन्तु आज भी देश का एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है जिसके पास ना इंटरनेट की सुविधा है, ना ऑनलाइन बुकिंग का ज्ञान और ना जेब में 100 रूपए। ऐसे में समिति के इस निर्णय से आम आदमी में रोष है।
लोगों का मत है की एक बेल पत्र से प्रसन्न होने वाले शिवजी के दर्शन के लिए इतनी बाधाएं नहीं होना चाहिए।
इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे मंदिर प्रशासक सुजान सिंह रावत का तर्क है की यह व्यवस्था कोविड प्रोटोकॉल के तहत की जा रही है जिससे मंदिर में भीड़ को कंट्रोल किया जा सके। महांकाल मंदिर के आस पास कई फल फूल और अन्य दूकान वाले दर्शनार्थियों से दर्शन के नाम पर ज्यादा पैसे लेकर ठग रहे है ऐसे लोगों पर नियंत्रण लेने के लिए यह फैसला लिया है। आज भी एक दूकान वाले पर कार्यवाही की है।भविष्य में जब कोरोना ख़त्म हो जाएगा तब पूर्ण रूप से निशुल्क पहले जैसी व्यवस्था लागू कर पाएंगे अभी यह संभव नहीं।
मंदिर समिति के निर्णय से आम भक्तों से दूर हो जाएंगे महाकाल, मंत्री मोहन यादवऔर विधायक महेश परमार ने किया विरोध, विधायक पारस जैन व्यवस्था से सहमत
प्रशासन से बात करके व्यवस्था कराऊंगा ठीक
आपने यह मामला संज्ञान में लाया है , बिना प्री बुकिंग के भी निशुल्क दर्शन की व्यवस्था मंदिर में होना चाहिए। भले ही एक निर्धारित संख्या में कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए दर्शन कराए जाए लेकिन पूर्ण रूप से पैसे और ऑनलाइन बुकिंग के आधार पर दर्शन व्यवस्था नहीं होना चाहिए। जिन लोग के पास प्रीबुकिंग कराने की सुविधा और ज्ञान नहीं है और जो गरीब तबके के लोग है ऐसे दर्शनार्थियों के लिए भी वैकल्पिक व्यवस्था होना चाहिए। भगवान महांकाल सबके हैं।-डॉ मोहन यादव,कैबिनेट मंत्री उच्च शिक्षा
हर व्यक्ति की पहुंच में है इंटरनेट व स्मार्ट फोन
आज के समय में अधिकांश लोगों के पास एंड्राइड फ़ोन और इंटरनेट की सुविधा है। जिनके पास नहीं भी है तो उनके परिचितों के पास है।इसलिए यह कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन द्वारा की जा रही यह व्यवस्था से में सहमत हूँ।
– पारस जैन, विधायक
भक्त-भगवान के बीच में बना रहे पैसे की दीवार
मंदिर समिति का यह निर्णय निंदनीय है। मंदिर को प्रयोगशाला बना दिया गया है। सिर्फ प्री बुकिंग या 100 रूपए की व्यवस्था करना भगवन और भक्तों के बीच में पैसे की दीवार कड़ी करने के सामान है। मै इस व्यवस्था का पूर्ण रूप से विरोध करता हूँ। गरीब तबके के भक्तों को दर्शन कराने की व्यवस्था भी प्रशासन को करना चाहिए।
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