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सुबोध जैन के निलंबन के बाद गूंजा लॉकडाउन में फर्जी रसीदें काटने का मामला
 फर्जी रसीद कट्टे भी जब्त हुए थे, मामला दब गया था उस समय

 




उज्जैन। नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आने के बाद पहले भाजपा बोर्ड के और बाद में निगमायुक्त के विश्वसनीय बने सुबोध जैन को निगमायुक्त के प्रतिवेदन पर संभागायुक्त आनंदकुमार शर्मा ने शनिवार को निलंबित कर दिया। नगरीय प्रशासन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर नगर निगम में आए सुबोध जैन का मूल पद नगर निगम में राजस्व अधिकारी का था। लेकिन वे जोड़तोड़ करके सहायक आयुक्त के पद तक पहुंच गए थे। जहरीली शराब मामले में जब उनके अधिनस्थ काम करने वाले सिकंदर और गब्बर के खिलाफ पुलिस प्राथमिकी दर्ज हुई तब भी निगमायुक्त ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

क्यों भेजा निलंबन अवधि में मूल विभाग में: सूत्र बताते हैं कि जैसे ही सिकंदर और गब्बर का मामला सामने आया, वरिष्ठ अधिकारी चौंके। सूत्रों का दावा है कि निगमायुक्त और संभागायुक्त सहित कलेक्टर के पास सुबोध जैन के द्वारा लॉकडाउन अवधि में किए गए कार्यो का ब्यौरा पहुंचा। फर्जी रसीद कट्टा काण्ड की जानकारी भी अधिकारियों तक पहुंची वहीं लॉकडाउन में काटी गई रसीदों, लोगों की शिकायतों को भी अधिकारियों तक पहुंचाया गया। भोपाल से आए एक वरिष्ठ आएएएस ने जब प्रति प्रश्न किया कि कांग्रेस ने अपने प्रतिवेदन में भी सुबोध जैन के खिलाफ संगीन आरोप लगाए है, ऐसे में आप लोग क्या कर रहे हैं? इसके बाद निलंबन किया गया। सूत्र बताते हैं कि आनेवाले समय में जांच का दायरा बढऩे पर जांच प्रभावित न हो, इसलिए सुबोध जैन को उनके मूल विभाग नगरीय प्रशासन में भी निलंबन अवधि तक मुख्यालय मानकर भेजा गया है।

पूरे लॉकडाउन अवधि की जांच हो
शहर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष रवि राय ने अक्षरविश्व से चर्चा में आरोप लगाया कि निगम अधिकारी सुबोध जैन को शुरू से ही बचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार के दौरान सुबोध जैन को हटाने के अनेक प्रयास किए गए लेकिन उन्हे अफसरशाही ने बचा लिया। भाजपा सरकार के दौरान भी यही हो रहा था। यदि यह मामला सामने नहीं आता तो सबकुछ पूर्ववत चलता रहता। उन्होंने मांग की कि संभागायुक्त प्रशासक होने के नाते सुबोध जैन-सिकंदर-गब्बर आदि की लॉकडाउन अवधि में किए गए कार्यों की जांच करे। फर्जी रसीद कट्टे के दोषियों को सामने लाएं।

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