"खुशियों की दास्तां" बेटी डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है, पहले उसके पालन-पोषण की बहुत चिन्ता रहती थी, मुख्यमंत्री ने उसके भोजन की व्यवस्था कर दी, अब मुझे कुछ हो भी जाये तो परवाह नहीं है -मनीष

"खुशियों की दास्तां" बेटी डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है, पहले उसके पालन-पोषण की बहुत चिन्ता रहती थी, मुख्यमंत्री ने उसके भोजन की व्यवस्था कर दी, अब मुझे कुछ हो भी जाये तो परवाह नहीं है -मनीष




 उज्जैन 09 अक्टूबर। शहर के नानाखेड़ा निवासी 50 वर्षीय मनीष जोशी पेशे से सेल्समेन हैं। उनके परिवार में दो बेटियां और पत्नी है। उनकी बड़ी बेटी प्रियल जोशी डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। जब डॉक्टरों ने बेटी की समस्या के बारे में बताया था तो मनीष और उसके परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा था। मनीष की सीमित आय में पहले से ही परिवार का खर्च चलाना मुश्किल था। बाद में बेटी के इलाज में खर्च इतना ज्यादा होने लगा कि घर का राशन तक जुटा पाना मुश्किल था। मनीष ने बताया कि भोजन तो मानव जीवन के प्रमुख आधारों में से एक है। इसी के लिये हम सब दिन-रात मेहनत करते हैं और इसी को कमाने के उद्देश्य से ही हम सबका जीवन निरन्तर कर्म के रास्ते पर चलता रहता है।

 लेकिन दिनोंदिन बढ़ती महंगाई और बेटी की बीमारी में लगने वाले इलाज के चलते मनीष अपने परिवार की इस प्रमुख जरूरत को पूरा कर पाने में समर्थ नहीं थे। उन्होंने मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के बारे में जब सुना तो उन्हें उम्मीद की एक किरण नजर आई। उन्होंने तुरन्त अपनी बेटी के नाम से योजना के तहत पात्रता हेतु आवेदन दिया और कुछ दिनों के पश्चात उन्हें खाद्य विभाग द्वारा पर्ची वितरित कर दी गई। अब इस योजना के माध्यम से मनीष और उनके परिवार के सभी सदस्यों को पांच-पांच किलो गेहूं व चावल और एक किलो नमक तथा डेढ़ लीटर केरोसीन नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।

 मुख्यमंत्री के प्रति धन्यवाद देते हुए मनीष की आंखों में नमी आ जाती है और वे उनसे यही कहते हैं कि मनीष और उनके जैसे कई परिवारों के लिये यह योजना वाकई में मां अन्नपूर्णा का वरदान साबित हुई है। इसके लिये वे सदैव सरकार के आभारी रहेंगे।

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