जहरीली झिंझर पीने से एक मजदूर की आंखों की रोशनी चली गई
उज्जैन। 14 अक्टूबर को जहां जहरीली झिंझर पीने से 12 से अधिक मजदूरों की मौत हो गई तो एक व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई। खास बात यह कि जिला अस्पताल में मजदूर का उपचार तो किया गया लेकिन आंखों का उपचार नहीं हो पाया। दीपक पिता बंशीलाल ज्ञानी छत्री चौक सराय में ही सोता है। उसने भी 14 अक्टूबर को पप्पी लंगड़ा से तीन पोटली झिंझर खरीदकर पी थी। दीपक ने बताया कि वह झिंझर पीने के बाद मजदूरी करने चला गया।
शाम को हालत बिगड़ी और उल्टियां होने लगीं तो वापस छत्री चौक में आकर सो गया। इस दौरान खून की उल्टियां भी हुई, रात में कोतवाली थाने की प्रधान आरक्षक रानी कौशिक आई मुझे नींद से जगाकर पूछा झिंझर तो नहीं पी। मैंने इंकार कर दिया तो वह चली गई। अगले दिन सुबह आंखों से दिखना बंद हो गया था भाई जितेन्द्र के साथ जिला अस्पताल पहुंचा। जहां डॉक्टरों ने उपचार किया लेकिन आंखों के लिये कोई दवा नहीं दी। तबियत तो ठीक हो गई लेकिन आंखों की रोशनी चली गई। दीपक ज्ञानी छत्री चौक पर बैठकर रो रहा था। यहां मौजूद मजदूरों ने कहा कि सरकार की तरफ से मदद नहीं मिली तो हम चंदा करके दीपक की आंखों का उपचार कराएंगे।