उज्जैन। ग्राण्ड होटल को मप्र पर्यटन विभाग को सौंपने के नगर निगम के प्रशासक के निर्णय का तीखा विरोध करते हुए निगम के पूर्व सभापति सोनू गेहलोत ने मुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री को एक पत्र लिखकर प्रशासक के इस फैसले को तुरंत प्रभाव से निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि एक वर्ष पूर्व निगम की चुनी हुई परिषद ने सर्वसम्मति से ग्राण्ड होटल को पर्यटन विभाग को सौपने से इंकार कर दिया था। निगम के इस फैसले को पलटते हुए प्रशासक द्वारा बाले-बाले अपने अधिकार का उपयोग किया गया। यहां तक कि उन्होने इस संबंध में आम सहमती भी नहीं बनाई।
न ही जनप्रतिनिधियों से चर्चा की। उन्होने जब जनप्रतिनिधियों से चर्चा की तो जानकारी में आया कि उन्हे भी इस बात से अवगत नहीं करवाया गया है। सोनू गेहलोत के अनुसार प्रशासक को यह अधिकार होता है कि वह बोर्ड के सारे अधिकारों का उपयोग करे। लेकिन ग्राण्ड होटल का मुद्दा जनहित का है। आम आदमी यहां विवाह समारोह एवं अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक कार्य करता है।
शहर की यह एक शान है जिस पर पूरे शहरवासियों का अधिकार है। किसी विभाग को सौपने के बाद यह भवन एकाधिकार में हो जाएगा। आम आवाजाही प्रतिबंधित हो जाएगी। कोठी महल को पूर्व में हेरीटेज भवन के रूप में सौपा जा चुका है। वहां कितना विकास और संरक्षण हो पाया, देखा जा सकता है। उन्होने कहाकि यदि इस मुद्दे को वापस नहीं लिया गया तो जन आंदोलन किया जाएगा। इस बात से भी मुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री को उन्होने पत्र के माध्यम से आज अवगत करवा दिया है।