प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन की शुरुआत दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की। जनकपुरी पश्चिम से बॉटनिकल गार्डन तक मेट्रो की 37 किलोमीटर लंबी मैजेंटा लाइन पर यह सुविधा शुरू की गई है। इससे लोगों को मेट्रो में सफर का नया एक्सपीरियंस मिलेगा, यह सुरक्षित भी होगा। इसका सिस्टम ऐसा है कि दो ट्रेनें अगर एक ट्रैक पर आ जाएंगी, तो अपने आप रुक जाएंगी।
इसकी शुरुआत करते हुए मोदी ने कहा कि 3 साल पहले मैजेंटा लाइन के उद्घाटन का सौभाग्य मिला था। आज फिर इसी लाइन पर पूरी तरह से ऑटोमेटेड मेट्रो के उद्घाटन का सौभाग्य मिला। ये दिखाता है कि कैसे देश तेजी से आगे बढ़ रहा है।
1. इसका सिस्टम इतना सेफ है कि कभी दो मेट्रो एक ही ट्रैक पर आ जाएं तो एक तय दूरी पर अपने आप रुक जाएंगी।
2. मेट्रो में सफर के दौरान कई बार झटके जैसा जो अनुभव होता है, वह ड्राइवरलेस ट्रेन में नहीं होगा।
3. ट्रेन में चढ़ने-उतरने के दौरान पैसेंजर्स को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।
इसका सिस्टम कैसे काम करता है?
ड्राइवरलेस मेट्रो का सफर कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिग्नलिंग सिस्टम (CBTC) से लैस है।
यह सिस्टम एक वाई-फाई की तरह काम करता है। यह मेट्रो को सिग्नल देता है जिससे वह चलती है।
मेट्रो ट्रेन में लगे रिसीवर सिग्नल मिलने पर मेट्रो को आगे बढ़ाते हैं। विदेशों की कई मेट्रो में इस सिस्टम को यूज किया जाता है।
बाद में मेट्रो के पूरे तीसरे फेज की सभी लाइन पर चलेगी
DMRC के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (कम्युनिकेशन), अनुज दयाल के मुताबिक मैजेंटा लाइन के बाद 57 किलोमीटर लंबी पिंक लाइन पर ड्राइवरलेस मेट्रो की शुरुआत की जाएगी। उन्होंने बताया कि जब पिंक और मैजेंटा लाइन तैयार की गई थीं, तो इन्हें कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिग्नलिंग सिस्टम से लैस किया था।
दुनिया के 46 शहरों में ऑटोमेटेड मेट्रो ट्रेनें चल रहीं
द इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ पब्लिक ट्रांसपोर्ट (UITP) के मुताबिक 2019 तक दुनिया के 46 शहरों में 64 ऑटोमेटेड मेट्रो ट्रेनें चल रही थीं। दुनिया की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो 1981 में जापान के कोब शहर में शुरू की गई थी।