विशाल जैन उज्जैन -कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने आज स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों की समीक्षा की तथा दिशा-निर्देश दिये। कलेक्टर ने बैठक में क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में जिले में लापरवाही बरतने पर सभी विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारियों के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को गंभीरता से लेने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कुल रेफरल मरीजों के चार प्रतिशत मरीजों के स्पूटम की जांच अनिवार्य रूप से की जाये। स्पूटम की जांच में कोरोना के कारण मरीज जांच नहीं करवा रहे हैं, यह बात ठीक नहीं लगती। कलेक्टर ने कहा कि मरीजों की जांच नहीं होना उनके जीवन से खिलवाड़ हो सकता है। इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। कलेक्टर ने कहा कि जो व्यक्ति निरन्तर खांसी व बुखार के कारण जांच कराने आ रहा है, वह स्पूटम की जांच कराने से कैसे इंकार कर सकता है। सभी चिकित्सक उक्त मरीजों की काउंसलिंग कर उन्हें जांच के लिये तैयार करें। कलेक्टर ने निर्देश दिये हैं कि सिमटोमैटिक रेफरल मरीजों की शत-प्रतिशत स्पूटम जांच होना चाहिये। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल, सिविल सर्जन डॉ.पीएन वर्मा, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.केसी परमार, डॉ.अनीता भिलवार, डीपीएम सुश्री परविंदर बग्गा सहित जिले के सभी विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे।
निलम्बित एएनएम की विभागीय जांच पूरी करने के निर्देश
कलेक्टर ने गर्भवती महिलाओं के पंजीयन में निरन्तर की जा रही लापरवाही पर भी नाराजगी व्यक्त की। नवम्बर माह में लक्ष्य का 78 प्रतिशत ही पंजीयन किया गया है। कलेक्टर ने पंजीयन में लापरवाही बरतने वाले निलम्बित एएनएम की विभागीय जांच तुरन्त पूरी करने के निर्देश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिये हैं। कलेक्टर ने कहा है कि दोषसिद्ध पाये जाने वाले सभी एएनएम को नौकरी से बर्खास्त किया जाये।