आज भोपाल स्थित मिंटो हॉल में स्व. माणिकचंद्र वाजपेयी जी '''मामा जी' के जन्मशताब्दी वर्ष पर डाक टिकट का विमोचन कर विचार साझा किया। वे सभी के श्रद्धा के पात्र थे। एक कार्यक्रम के दौरान श्रद्धेय अटलजी ने जब मामा जी के चरणों को स्पर्श करने की अनुमति चाही, तो सारा सभागार चौंक गया था। इससे उनके व्यक्तित्व के बारे में पता चलता है। वे सहज और सरल स्वभाव के थे। उन्हें जो भी दायित्व मिला, उसे उन्होंने एक ऋषि की तरह संपादित किया।
श्रद्धेय मामाजी प्रतिभा को पहचानते थे और उसे गढ़ने का कौशल उनमें था। अनेकों लोग उनसे मार्गदर्शन प्राप्त कर अपने कार्य में सफल हुए। वे न सफलता में आसमान पर उड़े और न ही असफलता में ज़मीन में गड़े। उन्होंने लाखों कार्यकर्ताओं को समर्पण भाव से भरा। वे अहंकार शून्य थे, सदैव उनके चेहरे पर मुस्कान विराजमान रहती थी। आज उनके जन्मशताब्दी वर्ष पर आज डाक टिकट का अनावरण कर स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ। मैं उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।