उज्जैन 22 जनवरी। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत दो दिवसीय कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर का प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षण में सभी सीएचओ को ओपीडी से 4% संभावित टीबी मरीजों का चिन्हांकन कैसे किया जाता है, बताया गया। देश से 2025 तक क्षय उन्मूलन के लिए मिशन मोड में कार्य करने की ज़रूरत पर जोर दिया। पूरे विश्व में जितने टीबी के रोगी हैं, उनका 27 प्रतिशत रोगी भारत में हैं। मृत्यु भी इसी अनुपात में होती है। बच्चों की टीबी के प्रकरण में देश 22% भार वहन करता है। समस्त टीबी पेशेंट चाहे वह प्राइवेट सेक्टर में उपचार ले रहा है या पब्लिक सेक्टर में, उसे स्टैंडर्ड टीबी केयर मिलना ही चाहिए। प्रत्येक टीबी पेशेंट को उपचार के दौरान 500 रु महीना पोषण सहायता राशि, पूर्ण उपचार, समस्त जांचे जो स्थानीय स्तर एवं मेडिकल कॉलेज ग्वालियर भेजकर करवाई जाती है, निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है। इसके अतिरिक्त दवा खिलाने वाली आशा कार्यकर्ता को एक हजार रुपये, यूनिक नोटिफिकेशन करने पर प्राइवेट चिकित्सक को प्रति केस500 रु की राशि प्रदान की जाती है। मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी एवं जिला क्षय अधिकारी द्वारा बताया गया कि बहुत ही सामान्य लक्षणों के आधार पर टीबी की संभावना की जा सकती है, जैसे 15 दिन की खाँसी, बुखार,वजन कम होना, रात को पसीना आना आदि। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिये कि इन लक्षणों वाले मरीजों को आगे आ कर खंखार की जांच करवाये एवम समय रहते बीमारी से मुक्ति पाये। अनुपचारित रोगी एक वर्ष में 10 से 15 नये टीबी के रोगी समाज मे पैदा के देता है।