भोपाल। मीडिया का पेट शिवराज सिंह चौहान ने इतना अधिक भर दिया है कि मेरी जरूरत ही मीडिया को महसूस नहीं होती। मैं वैसे भी प्रचार प्रसार की दुनिया से दूर रहता हूँ
आज का हरेक किसान आधुनिक है। इसलिए वह तकनीकी और कानून दोनों को बखूबी समझता है
कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने वालों में पंडित नेहरू, लालबहादुर शास्त्री इंदिरा गांधी ने किया था
मध्यप्रदेश की सत्तर फीसदी अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है
आजादी के बाद से ही जनसंघ देश के उद्योग धंधे का निजीकरण करने की बात करता था
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के समय भी जनसंघ ने विरोध किया था
कृषि कानून केवल कृषि क्षेत्र का निजीकरण करेगा
एमएसपी की संभावना भी आने वाले समय में खत्म हो जाएगी।
एनडीए के समर्थक पार्टियां भी अब कृषि कानून को लेकर विरोध करने लगी
बिल के चलते किसानों को कांट्रेक्ट फार्मिंग के लिए मजबूर कर दिया जाएगा
तीनो कानून सही मायने में काले कानून है
175 लाख टन पंजाब ने गेंहू का उत्पादन किया है जबकि मध्यप्रदेश वर्ष 2019-20 में 196 लाख टन
मध्यप्रदेश में केवल बीस फीसदी ही लोगों को एमएसपी का लाभ मिल पाता है।
कृषि कानून से सबसे ज्यादा अगर कोई प्रभावित होगा तो वह है मध्यप्रदेश ।क्योंकि यहां केवल बीस फीसदी ही किसानों को एमएसपी का लाभ मिल पाता है।
केंद्र सरकार की सोच में बहुत खोट है।
कर्जमाफी को लेकर सीएम शिवराज बहुत झूठ बोलते रहे
16 जनवरी से छिंदवाड़ा से किसान सम्मेलन की शुरुवात करने जा रहा हूँ। इसे आंदोलन नहीं समझा जाये। कांग्रेस प्रदेश के किसानों को जागरूक करने के लिए सम्मेलन करेंगी
किसान आंदोलन अभी कई मोड़ लेगा।