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"सम्मान अभियान पर विशेष- सफलता की कहानी" शिक्षा और स्वास्थ्य महिलाओं के मौलिक अधिकार हैं, इन पर विशेष ध्यान दें -डॉ.सलूजा, मिलिये सलूजा नर्सिंग होम की संचालक डॉ.सतिंदरकौर सलूजा से, चिकित्सा सेवा के साथ-साथ बीते कई सालों से समाज को जागरूक करने का भी काम किया

उज्जैन 25 जनवरी। शहर के सलूजा नर्सिंग होम की संचालक डॉ.सतिंदरकौर सलूजा केवल एक चिकित्सक ही नहीं, बल्कि समाजसेविका भी हैं। उन्होंने बीते कई सालों से चिकित्सा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने के लिये भी अनगिनत कार्य किये हैं। उनके नर्सिंग होम के कार्यालय में लगे अनगिनत प्रमाण-पत्र और अवार्ड चिकित्सा क्षेत्र और समाज को दिये गये उनके अहम योगदान की कहानी बयां करते हैं। डॉ.सलूजा स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। सरल और सौम्य व्यवहार की धनी डॉ.सलूजा मूल रूप से जयपुर की रहने वाली हैं। उनके पति डॉ.आरएस सलूजा मालवा क्षेत्र के ही हैं।

 उन्होंने बताया कि विवाह के बाद वे दोनों इंगलैण्ड चले गये थे और वहां उन्होंने तकरीबन 10 साल तक प्रेक्टिस की। इनके ससुर उज्जैन में जनरल फिजिशियन थे। डॉ.सलूजा बताती हैं कि आज से 35 साल पहले उज्जैन में कोई प्रायवेट नर्सिंग होम नहीं था। इस वजह से स्थानीय महिलाओं को प्रसूति के समय काफी परेशानी व असुविधा होती थी। इस परिस्थिति को देखते हुए डॉ.सलूजा ने उज्जैन में नर्सिंग होम प्रारम्भ करने का फैसला किया। महिलाओं के प्रति सेवाभाव के चलते उन्होंने इंग्लैण्ड से प्रेक्टिस छोड़कर उज्जैन को अपनी कर्मभूमि बनाया। यहां बनाये गये नर्सिंग होम के लिये उस समय विशेष और आधुनिक सर्वसुविधायुक्त उपकरण उपलब्ध करवाये और न्यूनतम दरों पर चिकित्सा सेवा प्रारम्भ की।

 डॉ.सलूजा बताती हैं कि उस दौरान अक्सर उनके सामने ऐसे प्रकरण बहुत आते थे, जिनमें महिलाओं में खून की कमी अथवा हिमोग्लोबिन की काफी कमी हुआ करती थी। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय थी। इस स्थिति से वे काफी प्रभावित हुई और उन्होंने लोगों को जागरूक करने का निर्णय लिया। उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में नि:शुल्क कैम्प लगवाये गये, जहां महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता था।

 डॉ.सलूजा द्वारा उस दौरान पांच साल में आठ हजार महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा उनके कुपोषण को दूर किया गया। इस हेतु इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया। डॉ.सलूजा द्वारा समाज की कुरीति जैसे कन्या भ्रूण हत्या को दूर करने के लिये भी सामाजिक जागरूकता का कार्य किया गया। बीते 30 सालों से डॉ.सलूजा द्वारा हर वर्ष चार से पांच बालिकाओं को शिक्षा के लिये गोद लिया जाता है, क्योंकि उनका मानना है कि समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिये लड़कियों का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। उन्होंने जिन लड़कियों की पढ़ाई का खर्च उठाया, आज उनमें से कई लड़कियां नर्स, टीचर, डॉक्टर और इंजीनियर बनी।

 डॉ.सलूजा द्वारा कैंसर के प्रति भी लोगों को जागरूक करने का कार्य किया जाता है। डॉ.सलूजा को स्वयं साल 2017 में कैंसर हो गया था। तब उन्हें कैंसर मरीजों की मन:स्थिति के बारे में पता चला। डॉ.सलूजा द्वारा कैंसर को हराया गया और समाज में कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिये उनके द्वारा निरन्तर कार्य किये जाते हैं। उनका कहना है कि कई बार महिलाएं गठान होने पर इसे गंभीरता से नहीं लेती हैं। गठान कई बार कैंसर का रूप ले सकती है, इसीलिये बिना समय गंवाये इसकी जांच चिकित्सक के पास करवाई जाना जरूरी है।

 डॉ.सलूजा ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को पता चलता है कि उसे कैंसर है तो उसका मनोबल काफी गिर जाता है। इस दौरान व्यक्ति की काउंसलिंग बेहद जरूरी है। डॉ.सलूजा द्वारा इसके लिये नि:शुल्क कैम्प लगाये जाते हैं। इस हेतु उन्होंने एक संस्था बनाई है, जिसका नाम जिजीविशा है। इस संस्था में सभी कैंसर सर्वाइवर्स हैं जो समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों से संवाद करते हैं और उन्हें बताते हैं कि कैसे वे कैंसर जैसी बीमारी को हरा सकें हैं।

 डॉ.सलूजा ने महिलाओं के प्रति सन्देश में कहा है कि स्वास्थ्य और शिक्षा महिलाओं के मौलिक अधिकार हैं, इसीलिये सभी महिलाएं अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और साथ ही बालिकाओं का शिक्षित होना भी बेहद जरूरी है क्योंकि जब एक बालिका शिक्षित होती है तो उसके साथ-साथ पूरा परिवार शिक्षित होता है।

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