उज्जैन 12 फरवरी। क्षेत्रीय इतिहास का बहुत महत्व है। हमें अपने अंचल, नगर और ग्राम के इतिहास पर शोध कार्य को बढ़ावा देना चाहिए। हमें अपने आसपास के इतिहास को खोजने का प्रयास करना चाहिए। इस आशय के विचार माधव कॉलेज में स्नातकोत्तर इतिहास विभाग द्वारा 'क्षेत्रीय इतिहास के विविध आयाम' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वर्चुअल वेबीनार में मुख्य वक्ता प्रख्यात इतिहासकार भोपाल के डॉ.सुरेश मिश्र ने व्यक्त किए। विशिष्ट वक्ता होशंगाबाद की प्राध्यापिका डॉ.हंसा व्यास ने कहा कि हमें क्षेत्रीय इतिहास को ध्यान में रखते हुए राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर होना चाहिए। स्थानीय व्यवसाय और बाज़ार को सामने लाना होगा। हमें शिक्षित और साक्षर भारत का निर्माण करना है। नए सिरे से इतिहास लेखन करना होगा।
कार्यक्रम के तीसरे वक्ता प्राध्यापक और विक्रम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम समन्वयक डॉ.प्रशान्त पुराणिक ने कहा कि क्षेत्रीय इतिहास व्यक्ति और समाज का इतिहास है। इसलिए आजकल विश्वभर के इतिहासकार क्षेत्रीय इतिहास पर बल दे रहे हैं। संत समाज, जैन साध्वियों का वर्षावास, मन्दिरों की पूजा परम्परा, शिल्प कला आदि पर भी शोध कार्य हो सकता है। ग्वालियर के इतिहासकार डॉ.संजय स्वर्णकार ने कहा कि आजकल क्षेत्रीय इतिहास पर बल दिया जा रहा है। इससे इतिहास के विविध आयाम उद्घाटित हो रहे हैं। बुंदेलखंड के इतिहास में बहुत सी बातें हैं जो राष्ट्रीय इतिहास में दर्ज कराई जा सकती हैं। सूक्ष्म इतिहास लेखन भी होना चाहिए।
माधव कॉलेज के प्राचार्य डॉ जे.एल.बरमैया ने कार्यक्रम आयोजित करने के लिए इतिहास विभाग को बधाई दी और क्षेत्रीय इतिहास लेखन की आवश्यकता पर बल दिया। इतिहास विभाग की अध्यक्ष डॉ.अल्पना दुभाषे ने विशिष्ट अंदाज़ में कार्यक्रम का संचालन किया। डॉ.अंशु भारद्वाज ने अतिथि परिचय दिया। डॉ.जीवन बाला लुणावत ने संक्षेपिका प्रस्तुत की। डॉ.रफीक नागौरी ने आभार व्यक्त किया।