उज्जैन। नीलगंगा स्थित कवेलू कारखाने की करोड़ों की जमीन का शासन द्वारा केस जीतने के बाद इस जमीन पर मकान बनाकर रहने वालों को यहां से निर्माण हटाकर मकान खाली करने के निर्देश दिये गये थे। रहवासियों ने 24 घंटे के अल्टीमेटम को कम बताकर कुछ समय की मोहलत मांगी थी, लेकिन कुछ रहवासियों ने सुबह स्वैच्छा से यहां से मकान खाली करना शुरू कर दिया।
नीलगंगा कवेलू कारखाना की शासकीय भूमि पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लोगों को प्लॉट बेच दिये थे। वर्तमान में इस शासकीय जमीन पर 400 से अधिक मकान निर्मित हैं जिनमें लोग निवास कर रहे थे। शासन द्वारा कोर्ट से केस जीतने के बाद कवेलू कारखाने की शासकीय जमीन को खाली करने के लिये रहवासियों को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था। रहवासियों ने अधिकारियों से मिलकर 24 घंटे की समय सीमा को कम बताते हुए कुछ समय की मोहलत मांगी थी। सुबह यहां के कुछ रहवासियों ने घरों से सामान समेटकर अन्यत्र जाना शुरू कर दिया। जिन लोगों के कच्चे मकान हैं उनकी घर खाली कर जाने वालों की संख्या अधिक है। घर छोड़कर जा रहे लोगों ने बताया कि 20 वर्ष से अधिक गुजर गये यहां रहते हुए। बारिश के मौसम में रात- रात भर जागकर गुजारी। सभी रहवासी एक परिवार की तरह रहते थे, लेकिन अब कहां जाएंगे और कहां रहेंगे किसी को कुछ पता नहीं।